PCOS क्या होता है इसके कारण लक्षण और इलाज आसान भाषा में
Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) Kya Hai?
Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) एक ऐसी बीमारी है जिससे आज दुनिया की करोड़ों महिलाएं प्रभावित हैं। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के एक Data के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 6% से 13% प्रजनन आयु की महिलाएं इस बीमारी का शिकार हैं।
अब जैसे ही आपने "करोड़ों महिलाएं" पढ़ा, आपके मन में ज़रूर एक सवाल आया होगा — "करोड़ों मतलब कितनी?"
तो चलिए, पहले एक नजर डालते हैं इस United Nations के डाटा पर, जिसे आप ऊपर ग्राफ में देख रहे हैं। इसमें बताया गया है कि दुनिया की कुल आबादी लगभग 820 करोड़ है। इनमें से महिलाएं लगभग 408 करोड़ हैं, और इन महिलाओं में से प्रजननन आयु (15 से 49 वर्ष) की महिलाएं लगभग 200 करोड़ हैं। और इन्हीं में से लगभग 6% से 13% यानी 12 से 26 करोड़ महिलाएं PCOS जैसी गंभीर बीमारी से प्रभावित हैं।
PCOS क्या है और इसके होने के पीछे का कारण क्या है?
PCOS क्या है?
PCOS एक हार्मोनल विकार (बीमारी) है जो प्रजनन आयु की महिलाओं को प्रभावित करता है। इससे महिला के अंडाशय (ovaries) में फ्लूइड (fluid) से भरी छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं, जिसकी वजह से अनियमित मासिक धर्म (irregular periods), हर्सुटिज़म (hirsutism - बालों का ज़्यादा बढ़ना), मुंहासे (acne) इत्यादि शामिल हैं।
PCOS के कारण
वैसे तो PCOS का कारण अब तक 100% स्पष्ट नहीं है, लेकिन रिसर्च से जुड़े कुछ मुख्य कारण सामने आए हैं, जिनमें सबसे बड़ा कारण है: Hormonal Imbalance (हार्मोन का असंतुलन)।
अब पहले हमें यह समझना है कि हार्मोन्स होते क्या हैं? हार्मोन्स हमारे शरीर में बनने वाले वो रसायन (chemicals) होते हैं जो शरीर के कई कामों को कंट्रोल करते हैं। वैसे तो हार्मोन्स कई प्रकार के होते हैं, लेकिन फिलहाल हम बात कर रहे हैं PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) की तो इससे जुड़े 6 परमुख हार्मोन्स के बारे में जान लेते हैं ताकि समझने में किसी भी तरह की परेशानी न हो।
PCOS में प्रभावित 6 प्रमुख हार्मोन्स
1. एंड्रोजेन्स (Androgens)
यह पुरुषों में अधिक मात्रा में पाया जाता है और महिलाओं में कम मात्रा में पाया जाता है। इसमें एक खास तरह का हार्मोन (रसायन) होता है जिसे टेस्टोस्टेरोन (testosterone) कहते हैं। जब किसी महिला को PCOS नामक बीमारी होती है तो यह टेस्टोस्टेरोन असामान्य रूप से बढ़ जाते हैं, जिसकी वजह से चेहरे (ठोड़ी के ऊपरी होंठ), छाती, पेट और पीठ पर पुरुषों की तरह मोटे बाल आने लगते हैं। यह सबसे आम लक्षण है। अब यह जो टेस्टोस्टेरोन है यह बढ़ कैसे जाता है जिसकी वजह से PCOS से प्रभावित महिला में यह लक्षण दिखने लगते हैं? इसका सबसे बड़ा कारण है इंसुलिन (Insulin)।
2. इंसुलिन (Insulin)
PCOS में अक्सर एक समस्या देखी जाती है जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस (insulin resistance) कहते हैं। इसका मतलब है कि शरीर की कोशिकाएं (cells) इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील (sensitive) हो जाती हैं। तो जब कोशिकाएं इंसुलिन को पहचान नहीं पातीं, तो शरीर को लगता है कि इंसुलिन कम है और वह ज़्यादा मात्रा में इंसुलिन बनाना शुरू कर देता है।
अब जैसे ही इंसुलिन का स्तर शरीर में बढ़ता है, यह शरीर के एंड्रोजन हार्मोन पर असर डालता है, खासकर टेस्टोस्टेरोन (testosterone) पर। इंसुलिन अंडाशयों (ovaries) को सिग्नल देता है कि वो ज़्यादा टेस्टोस्टेरोन बनाएं। और यहीं से PCOS के लक्षण शुरू हो जाते हैं — चेहरे पर बाल, वजन बढ़ना, अनियमित पीरियड्स वगैरह।
3. LH (Luteinizing Hormone)
LH एक ऐसा हार्मोन है जो महिलाओं के मासिक चक्र में बहुत अहम भूमिका निभाता है। ये अंडाशय (ovary) को अंडा छोड़ने (ovulation) का सिग्नल देता है। लेकिन जब PCOS होता है, तो इस LH हार्मोन का लेवल असामान्य रूप से बढ़ जाता है।
अब दिक्कत यह हो जाती है कि जब LH ज़्यादा हो जाता है, तो ये अंडा रिलीज़ होने की प्रक्रिया को बाधित कर देता है। यानी ovulation नहीं हो पाता। और जब अंडा ही नहीं निकलेगा, तो पीरियड्स भी अनियमित हो जाएंगे या कभी-कभी आना बंद भी हो सकता है।
4. FSH (Follicle Stimulating Hormone)
FSH एक ऐसा हार्मोन है जो महिलाओं में अंडाणु (egg) के विकास में अहम भूमिका निभाता है। यह अंडाशय (ovary) को सिग्नल देता है कि वह अंडाणु को पूरी तरह से विकसित (mature) करे। लेकिन जब किसी महिला को PCOS होता है, तो शरीर में FSH का स्तर अक्सर सामान्य से कम हो जाता है। इस वजह से अंडा ठीक से विकसित नहीं हो पाता। यानी वह ovulation तक पहुंच ही नहीं पाता।
अब जब अंडाणु ovulation नहीं करेगा, तो न तो पीरियड्स समय पर आएंगे और न ही गर्भधारण (pregnancy) की संभावना बनेगी। FSH की कमी के कारण अंडाशय में छोटे-छोटे (immature) अविकसित अंडाणु जमा हो जाते हैं, जो बाद में "सिस्ट" का रूप ले लेते हैं — यही PCOS की पहचान होती है।
- FSH की कमी → अंडा विकसित नहीं होता
- Ovulation रुकता है
- Periods अनियमित हो जाते हैं
5. प्रोजेस्टेरोन (Progesterone)
ये एक बहुत ही ज़रूरी हार्मोन होता है जो महिलाओं के मासिक चक्र (Periods) को नियमित बनाए रखने में मदद करता है। हर महीने जब महिला के शरीर में अंडा बाहर निकलता यानी Ovulation होता है, तो उसके बाद शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ता है। इसका काम होता है गर्भाशय (uterus) की भीतरी परत को इस तरह तैयार करना कि अगर अंडा किसी पुरुष के शुक्राणु (sperm) से मिल जाए तो गर्भधारण (Pregnancy) हो सके।
लेकिन जब किसी महिला को PCOS होता है, तो अक्सर अंडा रिलीज़ (Ovulation) ही नहीं हो पाता — और जब अंडा नहीं निकलेगा, तो शरीर में प्रोजेस्टेरोन भी नहीं बनेगा या बहुत कम बनेगा। अब जैसे ही प्रोजेस्टेरोन की कमी होती है, तो उसके दो असर सबसे पहले दिखते हैं:
- Periods अनियमित हो जाते हैं — कभी बहुत देर से आते हैं, कभी कई महीनों तक आते ही नहीं।
- गर्भधारण में परेशानी होती है — क्योंकि गर्भाशय उस तरह से तैयार नहीं हो पाता।
यही वजह है कि PCOS से पीड़ित महिलाओं में अक्सर पीरियड्स की गड़बड़ी और प्रेग्नेंसी में दिक्कत देखी जाती है — और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण होता है प्रोजेस्टेरोन की कमी।
6. एस्ट्रोजन (Estrogen)
ये हार्मोन महिलाओं के शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसे हम महिला हार्मोन भी कह सकते हैं, क्योंकि ये महिला शरीर के बहुत सारे बदलावों के लिए ज़िम्मेदार होता है — जैसे:
- स्तनों का विकास (Breast development)
- शरीर के आकार में बदलाव (शरीर का गोलाई लेना)
- और मासिक चक्र को शुरू करना और नियंत्रित करना
हर महीने, जब अंडा तैयार होता है, तो शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ता है। इसका काम होता है कि गर्भाशय की परत को मोटा बनाए, ताकि अगर अंडा फर्टिलाइज हो जाए (यानि गर्भ ठहर जाए), ताकि भ्रूण (embryo) आराम से विकसित हो सके। (जब किसी महिला का अंडाणु (egg) किसी पुरुष के शुक्राणु (sperm) आपस में मिलते हैं और गर्भधारण होता है इसके बाद जो जीव बनता है इसे भ्रूण (embryo) कहते हैं।)
लेकिन जब किसी महिला को PCOS होता है, तब दो चीजें होती हैं:
- अंडा ठीक से बनता ही नहीं, या बनता है तो निकलता नहीं।
- और दूसरी ओर, शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कभी-कभी ज़रूरत से ज़्यादा हो जाता है।
जब एस्ट्रोजन ज़्यादा हो जाता है और प्रोजेस्टेरोन कम हो जाता है — तो दोनों हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। इस असंतुलन से क्या होता है?
- गर्भाशय की परत ज़्यादा मोटी हो जाती है, जिससे बाद में बहुत तेज़ ब्लीडिंग हो सकती है।
- पीरियड्स कई महीनों तक नहीं आते, और फिर अचानक भारी मात्रा में आते हैं।
- शरीर में सूजन, वजन बढ़ना और मूड स्विंग जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
इसलिए, PCOS में एस्ट्रोजन का असंतुलन भी एक बड़ा कारण होता है महिला की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का।
PCOS का इलाज और प्रबंधन
तो हमने जाना कि PCOS क्या है और इसके कारण क्या हैं। PCOS होने से शरीर में क्या-क्या बदलाव दिखते हैं। अब इस PCOS नामक बीमारी का इलाज क्या है, ये समझेंगे। वैसे तो PCOS का इलाज अभी पूरी तरह से मुमकिन नहीं हो पाया है, लेकिन हां, कुछ घरेलू उपचारों और कुछ व्यायाम की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
PCOS के लिए घरेलू उपाय
- Fenugreek Seeds (मेथी के बीज)
- रातभर 1 चम्मच मेथी के बीज पानी में भिगो दें।
- सुबह खाली पेट पानी के साथ खाएं।
- यह इंसुलिन स्तर और हार्मोन संतुलन में मदद करता है।
- Ashwagandha (अश्वगंधा)
- 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर गर्म दूध के साथ रात में लें।
- यह तनाव कम करता है और हार्मोन बैलेंस करता है।
- Flaxseeds (अलसी के बीज)
- 1–2 चम्मच पिसी हुई अलसी दही या पानी में मिलाकर रोज़ लें।
- यह एंड्रोजन को कंट्रोल करता है और पीरियड नियमित करता है।
- Cinnamon (दालचीनी)
- रोज़ 1 चुटकी दालचीनी पाउडर को गर्म पानी या चाय में मिलाकर पिएं।
- यह इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाता है।
- Holy Basil Leaves (तुलसी के पत्ते)
- रोज़ सुबह 5–10 तुलसी के पत्ते चबाएं।
- यह शरीर को डिटॉक्स करता है और हार्मोन संतुलन करता है।
- Water and Sleep (पानी और नींद)
- दिन में कम से कम 2–3 लीटर पानी पिएं।
- रोज़ाना 7–8 घंटे की अच्छी नींद लें।
- यह पीरियड साइकिल और मूड को सुधारता है।
PCOS में क्या नहीं खाना चाहिए
PCOS को नियंत्रित करने के लिए कुछ खाने-पीने की चीजों से बचना जरूरी है, क्योंकि ये लक्षणों को और भी गंभीर कर सकते हैं। इन्हें कम करें:
- चीनी और मिठाइयां: जैसे कि गुलाब जामुन, जलेबी, cold drinks से बचें। ये insulin resistance को बढ़ाते हैं, जिससे बाल और मुंहासे बढ़ सकते हैं।
- मैदा और फास्ट फूड: सफेद bread, समोसा, pizza कम करें। ये वजन और inflammation बढ़ाते हैं।
- ज्यादा dairy: जैसे कि दूध, पनीर, ice cream को सीमित करें। ये testosterone बढ़ाकर मुंहासे और बालों की समस्या बिगाड़ सकते हैं।
- Caffeine और शराब: ज्यादा coffee, energy drinks, या alcohol से बचें। ये तनाव और hormonal असंतुलन को बढ़ाते हैं।
इन चीजों को कम करके और ऊपर बताए घरेलू उपाय अपनाकर आप PCOS को अच्छे से नियंत्रित कर सकती हैं।
PCOS के लिए कुछ बेहतरीन एक्सरसाइज़
ये सभी एक्सरसाइज़ सीधे तौर पर हार्मोन, इंसुलिन और ओव्यूलेशन को प्रभावित करती हैं:
तेज़ चलना (15 से 30 मिनट)
- सबसे सुरक्षित और असरदार तरीका है।
- इंसुलिन की संवेदनशीलता (sensitivity) को बेहतर बनाता है।
- तनाव (stress) को कम करता है।
योग (रोज़ाना 20–30 मिनट)
हार्मोन संतुलन और अंडाशय (ovaries) के कार्य को सुधारने के लिए बेहतरीन आसन:
- Butterfly Pose (बद्ध कोणासन) – पेल्विक एरिया (pelvic area) में रक्त प्रवाह बढ़ाता है, अंडाशय को सक्रिय करता है और पीरियड्स में सुधार करता है। महिलाओं में पेल्विक एरिया वह हिस्सा होता है जिसमें मूत्राशय, अंडाशय और गर्भाशय शामिल होते हैं।
- Bridge Pose (सेतु बंधासन) – थायरॉइड और हार्मोनल संतुलन को सुधारता है, रक्त संचार बढ़ाता है और तनाव कम करता है।
- Cobra Pose (भुजंगासन) – अंडाशय और गर्भाशय को उत्तेजित करता है, हार्मोन संतुलन में मदद करता है और पाचन को बेहतर बनाता है।
- Child Pose (बालासन) – मानसिक तनाव कम करता है, शरीर को आराम देता है और हार्मोनल बैलेंस (hormonal balance) को सपोर्ट करता है।
ताकत बढ़ाने वाली कसरत (हफ्ते में 2–3 बार)
- PCOS में मांसपेशियां बनाना लाभदायक होता है।
- इसके लिए डम्बल या बॉडीवेट एक्सरसाइज़ जैसे स्क्वैट्स, लंजेस, और पुशअप्स भी कर सकते हैं।
- यह एक्सरसाइज़ इंसुलिन रेजिस्टेंस (insulin resistance) को कम करने, फैट बर्न (fat burn) को तेज करने और मेटाबॉलिज्म (metabolism) सुधारने में मदद करती है, जिससे हार्मोन संतुलन और पीरियड्स नियमित हो सकते हैं।
HIIT (High-Intensity Interval Training) (10–15 minutes)
- शरीर की चर्बी कम करता है और ओव्यूलेशन को नियमित करता है।
- बस ज़्यादा न करें — हफ्ते में 2 बार ही काफ़ी है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q. क्या PCOS पूरी ज़िंदगी रहता है?
A. PCOS ठीक नहीं होता, लेकिन कंट्रोल में रह सकता है।
Q. हर लड़की में PCOS के लक्षण अलग क्यों होते हैं?
A. क्योंकि हर शरीर और हार्मोन सिस्टम अलग होता है।
Q. क्या पतली लड़कियों को भी PCOS हो सकता है?
A. बिल्कुल! PCOS सिर्फ मोटापे की बीमारी नहीं है।
Q. पीरियड्स ना आएं तो प्रेग्नेंसी कैसे होगी?
A. Ovulation बंद हो तो प्रेग्नेंसी मुश्किल, लेकिन इलाज से मुमकिन है।
Q. क्या PCOS दिमाग पर भी असर डालता है?
A. हां, यह anxiety, mood swings और depression ला सकता है।
Q. क्या शादी से पहले PCOS का इलाज जरूरी है?
A. ज़रूर। फर्टिलिटी और future complications रोकने के लिए।
Q. क्या हर ovarian cyst PCOS का संकेत है?
A. नहीं! हर cyst PCOS नहीं होती — diagnosis ज़रूरी है।
Q. क्या सिर्फ diet और exercise से ठीक हो सकता है?
A. हल्के cases में हां, पर कई बार दवा भी चाहिए होती है।
NOTE
अगर आपको PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) नाम की बीमारी हो गई है, तो घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।
Qualified डॉक्टर से सलाह लें, अपना खानपान सुधारें और नियमित व्यायाम करें।
अगर यह समस्या शुरुआती स्तर पर है, तो ऊपर बताए गए घरेलू उपाय और व्यायाम की मदद से आप इसे नियंत्रण में रख सकती हैं और एक स्वस्थ और सहज जीवन जी सकती हैं।
अगर अब भी इससे जुड़ा कोई सवाल आपके मन में है, तो आप कमेंट या ईमेल के माध्यम से हमसे बिना झिझक पूछ सकती हैं।
हम आपको 24 से 48 घंटे के भीतर जवाब देने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद
Comments
Post a Comment